Wednesday 4 January 2023

मेरी ख़ामोशी में भी तेरा ज़िक्र है

 


ज़िंदगी में नहीं तू पर आंशुओ में अभी भी तेरा घर है,

जिस वक्त के बहने का पता ना चला तेरे साथ,

 कटता तारे गिन गिन कर है।

मेरी ख़ामोशी में भी तेरा ज़िक्र है,

लोग पूछते हैं आज कल मुझे किस बात की फ़िक्र है

कैसे समझाऊँ उन्हेंकी तेरे बिना फीका मेरा सफ़र है।


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