Wednesday 14 February 2018

माफ़ किया...

इश्क़ में करके बगावत,
तूने मेरा हिसाब किया।
जा, मैनें तुझे माफ़ किया।।
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रूह से चाहा था तुझे,
पर तेरी रुसवाई ने,
मुझे महज़ लिबास किया।
जा, मैनें तुझे माफ़ किया।।
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तुझसे मिले दर्दो को,
लिख लिख कर,
मैनें खुद से खुद का इलाज़ किया।
जा, मैनें तुझे माफ़ किया।।
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वो जगह जहां पहली दफ़ा दीदार हुआ,
मानकर उसको मस्ज़िद,
मैनें ताउम्र वहां नमाज़ किया।
जा, मैनें तुझे माफ़ किया।।
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नख़रे तो थे कई सारे,
पर मैनें हरदम,
तेरा लिहाज़ किया।
जा, मैनें तुझे माफ़ किया।।
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जिसे मैनें तेरा यार समझा,
बनाकर तूने रकीब उसे,
मेरा काम ख़राब किया।
जा, मैनें तुझे माफ़ किया।।
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तेरे दिन और रात तो,
किसी गैर के थे।
तो फिर क्यूँ मुझे,
बेमतलब बेताब किया।
जा, मैंनें तुझे माफ़ किया।।
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उस दिन सबने पूछा तुझसे,
क्या कुछ तालुकात है इससे।
उस दिन तूने चुप रहकर,
क्या हसीं कमाल किया।
जा, मैंने तुझे माफ़ किया।।
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तेरे लगाई आग ने,
जो दिल मे बची उस राख ने,
मुझे पल में आफ़ताब किया।
जा, मैंने तुझे माफ किया।।
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चर्चा नही थी तेरी कहीं भी,
पर मेरी इश्क़ की रोशनी ने,
आज तुझे मेहताब किया।
जा, मैंनें तुझे माफ़ किया।।
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अल्फ़ाज़ों के खेल से डरता था,
पर तेरे करम ने,
"सुभ" की कलम का आगाज़ किया।
जा, मैनें तुझे माफ़ किया।।

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