Tuesday 3 October 2017

कुछ ख़त Jennet को.. ख़त #1 ¦ मैं तुम्हें जरूर मिलूंगा..

हाँ.. मैं  तुम्हें जरूर मिलूंगा, मगर आज नहीं..
क्योंकि आज तुम किसी उलझन में लगी पड़ी हो..
और मैं आज भी तुम में खुद को सुलझाने में पड़ा हुआ हूँ।
तो हाँ.. मैं तुम्हें मिलूंगा जरूर.. पर आज नहीं
क्योंकि आज भी तुम पतझड़ के पत्तों के पीछे भाग रही हो..
और आज भी मेरी आँखें तुम्हारा बारिश में इंतजार कर रही हैं
नहीं.. मैं तुम्हें नहीं मिलूंगा, आज तो नहीं मिलूंगा

कुछ इस तरह 

क्योंकि आज भी मैं चाय के कप के धुंए में से तुम्हारा चेहरा देखता हूँ..
और तुम आज भी ठंडी कॉफी के झागों में कहीं खोयी हुई सी हो।
हाँ.. मैं तुम्हें मिलूंगा जरूर.. पर आज नहीं..
क्यूँकि मैं आज भी तुम्हें हर पल में सोचता हूँ...
और तुम्हें.. तुम्हें शायद मैं याद ही नहीं।
तो हाँ.. मैं तुम्हें मिलूंगा तो जरूर मगर आज नहीं।
आज भी जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो तुम्हें ही पाता हूँ..
और जब तुम पीछे मुड़कर देखती हो.. हि.. हि.. 😂 😂
तुम पीछे मुड़कर देखती कहा हो।।
तो हाँ.. मैं तुम्हें मिलूंगा जरूर पर आज नहीं...
शायद कभी नहीं।।।

*इस गाने को जरूर सुनना ⤵️⤵️⤵️

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